प्रदेश में रबी सीजन के लिए रोजाना खरीदनी पड़ रही है तीन करोड़ की अतिरिक्त बिजली

प्रदेश में रबी सीजन के लिए जयपुर, जोधपुर व अजमेर बिजली वितरण कंपनियों को रोजाना तीन करोड़ रुपए से ज्यादा की अतिरिक्त बिजली खरीदनी पड़ रही है। सूरतगढ़ व कोटा थर्मल के तीन सरकारी बिजलीघर के शट डाउन पर होने के कारण फिलहाल एनर्जी एक्सचेंज के जरिए दूसरे राज्यों व प्राइवेट पावरहाउस से खरीदनी पड़ रही है।


सरकार ने पंचायत समितियों व जिला परिषदों के चुनावों के देखते हुए गांवों में निर्धारित ब्लॉक में बिजली देने के निर्देश दे रखे है। प्रदेश में रोजाना बिजली का लोड 13600 मेगावाट है। तीनों डिस्कॉम 2500 लाख यूनिट बिजली सप्लाई कर रही है। यह करीब 125 करोड़ रुपए की है। 


जयपुर डिस्काॅम, अजमेर डिस्कॉम व जोधपुर डिस्कॉम में करीब साढ़े 12 लाख कृषि बिजली कनेक्शन है। कृषि कनेक्शनों के लिए ग्रामीण इलाकों में चार ब्लाक में बिजली सप्लाई की जा रही है। दिन के समय छह छह घंटे के दो शेड्यूल में बिजली सप्लाई की जाती है, जबकि रात के समय सात-सात घंटे के दो ब्लाक में बिजली सप्लाई की जा रही है।


पंचायत चुनावों के कारण विधायकों व जनप्रतिनिधियों पर तय शेड्यूल के तहत  बिजली सप्लाई  करने का दबाव है। खेती के लिए बिजली की मांग  को लेकर कई इलाकों में सबस्टेशनों पर विरोध प्रदर्शन भी हो चुके है। 


रात की मांग कम होने से बंद हैं सरकारी बिजलीघर 
प्रदेश में किसान भी दिन में बिजली देने की मांग कर रहे है। वहीं रात के समय प्रदेश में सरप्लस बिजली रहती है। इस कारण 750 मेगावाट क्षमता के थर्मल बिजलीघर बंद करवा रखे है। इंजीनियरों की  दलील है कि दिन में डिमांड ज्यादा व  रात में कम रहती है। ऐसे में बिजलीघरों को  बार-बार बंद करना व चालू करने में दिक्कत आती है। ऐसे में एनर्जी एक्सचेंज से बिजली खरीदनी पड़ रही है।


तीनों डिस्कॉम ने टैरिफ बढ़ाने को बढ़ाया दबाव, इस सप्ताह जारी होगा नया टैरिफ


प्रदेश में नया टैरिफ आदेश जारी करने के लिए सरकारी बिजली कंपनियों ने सरकार पर दबाव बनाना शुरु कर दिया है। ऐसे में इसी सप्ताह नया टैरिफ आदेश जारी होने की संभावना जताई जा रही है। इसके  लिए राजस्थान विद्युत विनियामक आयोग में लगातार मंथन चल रहा है। सोमवार या मंगलवार को इसको लेकर स्थिति स्पष्ट होगी।


टैरिफ पिटिशन पर दो महीने पहले ही सुनवाई हो चुकी है। आदेश पेडिंग है। हालांकि टैरिफ बढ़ने से उपभोक्ताओं पर हर महीने 1500 करोड़ का भार पड़ेगा। सरकारी बिजली कंपनियों ने अपने घाटे का हवाला देते हुए विनियामक आयोग में जुलाई में पिटिशन लगाई थी। पिटिशन पर स्टडी करने के बाद आयोग ने 18 से 22 नवंबर तक तीनों डिस्कॉम में जनसुनवाई की थी।


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